उमर मुख्तार (अरबी: عمر المختار उमर अल-मुख्तार) (20 अगस्त 1858 – 16 सितंबर, 1931, मनिफा के, का जन्म लीबिया में पूर्वी बरका (साइरेनिका) में टोब्रुक के पास, जांजौर के छोटे से गाँव में हुआ था।
1912 में उन्होंने लीबिया मे विरोधी सेना को संगठित किया और लगभग बीस वर्षों तक, लीबिया के इतालवी उपनिवेशीकरण के लिए देशी प्रतिरोध का नेतृत्व किया।
लीबिया के महान उपनिवेशवाद विरोधी मुक्ति सेनानी उमर मुख़्तार ने दो इतालवी कैदियों की रक्षा करते हुए कहा था कि “हम कैदियों को नहीं मारते” तब उनके साथी योद्धाओं ने कहा कि “वे हमारे साथ ऐसा नहीं करते है” तो उमर मुख़्तार ने इन शब्दों में जवाब दिया “वे हमारे शिक्षक नहीं हैं”
वह सबसे साहसी शेरों में से एक थे, जिन्होंने अपने दुश्मनों के सभी आरोपों और धमकियों के बीच अपने आसपास के लोगों का बचाव किया था। लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें इतालवी सशस्त्र बलों द्वारा उनके अपने लोगों के सामने सार्वजनिक रूप से फांसी की सज़ा सुनाई गई, दोषी ठहराया गया।
उनके शब्द थे “हम आत्मसमर्पण नहीं करते, हम जीतते हैं या हम मर जाते हैं।”
वह सबसे अधिक शिक्षित, अच्छा व्यवहार करने वाले, बहादुर, सच्चे और एक ईमानदार आदमी थे ।