कुरआन की जिन 26 आयतों पर वसीम रिजवी ने कोर्ट में याचिका दी है उन्हीं 26 आयतों को लेकर स्वामी शंकराचार्य ने भी एक किताब लिखी थी. क़िताब का नाम रखा था ” इस्लामिक आंतकवाद का इतिहास ” यह क़िताब खूब प्रचलित हुई.
एक दिन स्वामी जी को कुरआन के कुछ पोम्फ्लेट मिले जिसमें कुरआन की आयतों का तर्जुमा लिखा था. उसको पढ़ने के बाद स्वामी जी के दिल मे पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम की जीवनी पढ़ने की उत्सुकता हुई.
स्वामी जी ने नबी सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम जीवनी पढ़ने के साथ साथ कुरआन का तर्जुमा फिर से पढ़ा तो वह रोने लगे और उन्होंने फिर उस क़िताब की दिफ़ाअ में दूसरी क़िताब लिखी, उस क़िताब का नाम रखा ” इस्लाम आंतकवाद है या आदर्श ? ”
इसमें इन्होंने उन्हीं 26 आयतों को जो वसीम रिजवी हटाने की माँग कर रहा है उसकी तर्जुमानी व तशरीह की है!
इस वाकया से उम्मत को एक सबक मिलता है कि उम्मत को चाहिए कि वसीम रिजवी को गाली देने से बेहतर है कि वह कुरआन व मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम की ज़िन्दगी को आम करें.. (आज़ाद हाशमी)