भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में एक बार फिर से सेना ने तख्तापलट कर दिया है। इस तख्तापलट का नेतृत्व देश के सबसे ताकतवर शख्स सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने किया है। आइए जानते हैं सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग के बारे में सबकुछ,लोकतंत्र की राह पर चल रहे म्यांमार में करीब 59 साल बाद एक बार फिर से सैन्य तख्तापलट हो गया है।
म्यामांर की सेना ने सोमवार तड़के तख्तापलट कर स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को नजरबंजद कर लिया है। राजधानी नेपीडॉ में संचार के सभी माध्यम काट दिये गये हैं और फोन तथा इंटरनेट सेवा बंद है। आंग सांग सू की (75) की नैशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। सड़कों पर हर तरफ सेना को तैनात कर दिया गया है।
म्यांमार की सेना की ओर से संचालित टीवी पर ऐलान किया गया है कि सेना ने देश को अपने कब्जे में ले लिया है और एक साल के लिए आपातकाल घोषित कर दिया है। म्यांमार में इस ताजा संकट के पीछे जिस व्यक्ति का हाथ है, उसका नाम सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग और वह म्यांमार की सेना के कमांडर इन चीफ हैं। जनरल मिन अपनी क्रूर,ता के लिए पूरी दुनिया में कु,ख्यात हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में सबकुछ।
म्यांमार की सेना के कमांडर इन चीफ जनरल मिन ने कुछ दिनों पहले ही संकेत दिया था कि अगर चुनाव में धोखाधड़ी से जुड़ी उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वह सैन्य तख्तापलट कर देंगे। सेना ने आरोप लगाया था कि पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में व्यापक पैमाने पर धोखाधड़ी हुई जिसमें आंग सांग सू की को भारी बहुमत मिला था। जनरल मिन ने सेना के अखबार मयावाडी में छपे अपने बयान में आंग सांग सू की सरकार को कड़ी चेतावनी दी थी।
उन्होंने कहा था कि वर्ष 2008 का संविधान सभी कानूनों के लिए ‘मदर लॉ’ है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। जनरल मिन ने कहा, ‘कुछ परिस्थितियों में यह आवश्यक हो सकता है कि इस संविधान को रद्द कर दिया जाए।’ सेना का दावा है कि चुनाव में देशभर में चुनाव धोखाधड़ी के 86 लाख मामले सामने आए हैं। यह चुनाव वर्ष 2011 में करीब 5 दशक तक चले सैन्य शासन के बाद लोकतंत्र के बहाल होने पर दूसरी बार हुए थे। चुनाव विवाद के बीच सेना के समर्थन में देश के कई बड़े शहरों में प्रदर्शन भी हुए थे।म्यांमार की सेना के कमांडर इन चीफ जनरल मिन पर सेना के जरिए रोहिंग्या मुस्लिमों के क,त्लेआम के आरोप लगते रहे हैं।