दो दिन पहले पश्चिम बंगाल के हुगली जिला स्थित फुरफुरा शरीफ के मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी मिले तो वहां की राजनीति में एक सनस’नी सी मच गई थी. क्योंकि, ये वही मौलाना हैं, जिन्होंने सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में ममता बनर्जी का साथ देकर लेफ्ट फ्रंट की सरकार को उखा’ड़ फें’कने में उनकी मदद की थी.
लेकिन, करीब 28 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले बंगाल में इस समुदाय पर तगड़ी पकड़ रखने वाले सिद्दीकी ही अब बनर्जी को सत्ता से बेदखल करने के लिए कमर कस चुके हैं. इसके लिए वह अकेले ओवैसी जैसे मुस्लिम नेता के भरोसे नहीं हैं. वह कांग्रेस और सीपीएम के भी संपर्क में हैं, क्योंकि उन्होंने हर हाल में टीएमसी को हराने की ठान ली है.
फुरफुरा शरीफ वाले पीरजादा अब्बास सिद्दीकी आने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के खिला’फ एक मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं.
इसके लिए वो एआईएमआईएम के अलावा सीपीएम-कांग्रेस के साथ ही कई दलित, आदिवासी और मटुआ संगठनों भी बातचीत कर रहे हैं
वो चाहते हैं कि वह एक ऐसा बीजेपी विरोधी प्लेटफॉर्म तैयार करें, जो ममता बनर्जी को भी सत्ता से दूर कर दे. सबसे बड़ी बात ये है कि मौलाना सिद्दीकी का यह नजरिया उनकी असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात के बाद खुलकर सामने आ रहा है.
मौलाना ने आने वाले चुनाव को लेकर अपना मंसूबा जाहिर करते हुआ बताया है, ‘हमें अधीर साब (प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी) से अनुकूल जवाब मिला है. यहां तक कि लेफ्ट से भी, हालांकि पहले उन्होंने हमें काफी नुकसान पहुंचाया था..उनका भी स्वागत है..हम नहीं चाहते कि वोट बंटे। हमें हर सीट पर कम से कम 10 से 20 फीसदी हिंदू वोट चाहिए..
पिछले 6 महीनों में सिद्दीकी ने 1,000 से ज्यादा रैलियां और कार्यक्रम किए हैं, जिसमें उन्होंने टीएमसी को निशा’ना बनाया है। उनकी रैलियों में मुसलमानों की उमड़ी भीड़ ने मुस्लिम वोट बैंक पर नजरें लगाए बैठे कथित ‘सेक्युलर’ राजनीतिक दलों को उनके पास आने को मजबूर कर दिया है.
दक्षिण बंगाल के मुसलमानों के बीच इस मुस्लिम धर्मगुरु का काफी प्रभाव है. लेकिन, अब वो मुर्शीदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर और उत्तर बंगाल के कुछ इलाकों में भी अपना पांव फैलाना चाहते हैं. इसके लिए जनवरी में ही वह प्रचार अभियान की शुरुआत करने वाले हैं.
यहां तक की झारखंड से लगने वाली सीमाओं में अपना दबदबा कायम करने के लिए वह झारखंड मुक्ति मोर्चा से भी समर्थन जुटाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं.