नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश के तिरुमला में धार्मिक सौहार्द का अनोखा उदाहरण देखने को मिला है. एक मु’स्लिम सिपाही हिं’दू म’हिला को अपने कंधे पर बैठाकर 6 किलोमीटर तक लेकर गया. ताकि म’हि’ला तिरुमला मंदिर में भ’ग’वान वें’क’टेश्वर की पू’जा क’र सके. आइए जानते हैं इस मु’स्लिम कॉन्सटेबल ने कैसे की हिं’दू म’हि’ला की मदद…हुआ यूं कि 58 वर्षीय म’हि’ला मं’गी नागेश्वरम्मा ति’रु’मला मं’दिर की दो दिवसीय धा’र्मिक यात्रा पर नि’कली थीं. यात्रा पैदल कर रही थीं. बीच रास्ते में उनकी त’बि’यत ख’रा’ब हो गई. उनसे चला नहीं जा रहा था. प’हा’ड़ी पर स्थित तिरुमला मं’दि’र सिर्फ 6 किलोमीटर की दूरी पर था ।
मंगी नागेश्वरम्मा नं’द’लू’र मंडल से पै’दल तिरुमला के लिए चलीं. 22 दिसंबर की दोपहर उन्हें यात्रा के दौरान हा’ई ब्ल’ड प्रे’शर की शि’का’यत हो गई. इस दौरान क’ड’प्पा जिले की स्पेशल पुलिस के जवान तीर्थयात्रियों की निगरानी में थे. त’भी कॉन्सटेबल शे’ख अ’र’शद की नजर नागेश्वरम्मा पर पड़ी ।
कॉन्सटेबल शे’ख अरशद पहले मं’गी नागेश्वरम्मा को अस्पताल ले गए. इसके बाद अपने कं’धे पर उठाकर 6 किलोमीटर दूर स्थित मं’दि’र तक ले गए. इस दौरान शे:ख प’हा’ड़ी पर स्थित जं’ग’ल से भी गुजरे. इसके अलावा एक अन्य कॉन्सटेबल ने भी इसी तरह के बुजुर्ग नागेश्वर राव को अपने कं’धे पर बैठाकर स’ड़’क तक छो’ड़ा था, ताकि वो सवारी लेकर घर जा सकें ।
कॉन्सटेबल शे’ख अ’र’शद ने इस काम की ता’री’फ उनके सीनियर और तिरुमला मं’दिर आने वाले ती’र्थया’त्री भी कर रहे हैं. उनकी यह कहानी पूरे आंध्र प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है ।
(आजतक से साभार)
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पश्चिम बंगाल : धर्म परिवर्तन को लेकर कलकत्ता हाईकोर्र ने एक बड़ी टिप्पणी की है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई वयस्क लड़की अपनी पसंद से शादी और धर्म परिवर्तन करती है, तो इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। अदालत ने एक पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उसने दावा किया था कि उसकी बेटी को दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने के लिए अनुचित रूप से प्रभावित किया गया है ।
याचिकाकर्ता ने अपनी 19 वर्षीय बेटी के अपनी पसंद के एक व्यक्ति से शादी करने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर कर शिकायत की थी कि उसकी बेटी ने मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान दर्ज कराया है, वह हो सकता है कि ऐसे माहौल में दर्ज न कराया गया हो, जिसमें वह सहज महसूस कर रही हो ।
पिता द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने युवती को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था। युवती ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है ।
न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने सोमवार को कहा, ”अगर कोई वयस्क अपनी पसंद से शादी करती है और धर्म परिवर्तन का फैसला करती है तथा अपने पिता के घर लौटने से इनकार कर देती है, तो ऐसे मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता ।”
पिता की शिकायत पर अदालत ने आदेश दिया कि युवती की तेहट्टा में वरिष्ठतम अतिरिक्त जिला न्यायाधीश से मुलाकात कराई जाई और इस बात का पूरा ख्याल रखा जाए कि उस पर कोई अनुचित दबाव न बनाया जाए ।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई वयस्क लड़की अपनी पसंद से शादी और धर्म परिवर्तन करती है, तो इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
अदालत ने एक पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उसने दावा किया था कि उसकी बेटी को दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने के लिए अनुचित रूप से प्रभावित किया गया है।
याचिकाकर्ता ने अपनी 19 वर्षीय बेटी के अपनी पसंद के एक व्यक्ति से शादी करने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर कर शिकायत की थी कि उसकी बेटी ने मजिस्ट्रेट के सामने जो बयान दर्ज कराया है, वह हो सकता है कि ऐसे माहौल में दर्ज न कराया गया हो, जिसमें वह सहज महसूस कर रही हो।
पिता द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस ने युवती को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया था। युवती ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है ।
न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने सोमवार को कहा, ”अगर कोई वयस्क अपनी पसंद से शादी करती है और धर्म परिवर्तन का फैसला करती है तथा अपने पिता के घर लौटने से इनकार कर देती है, तो ऐसे मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। ”
पिता की शिकायत पर अदालत ने आदेश दिया कि युवती की तेहट्टा में वरिष्ठतम अतिरिक्त जिला न्यायाधीश से मुलाकात कराई जाई और इस बात का पूरा ख्याल रखा जाए कि उस पर कोई अनुचित दबाव न बनाया जाए ।
(साभार पँजाब केसरी)