खतना या सुन्नत यहूदियों और मुसलमानों में एक धार्मिक संस्कार होता है. इसमें लड़का पैदा होने के कुछ समय बाद उनके लिंग के आगे की चमड़ी निकाल दी जाती है.वैसे तो इसका संबंध किसी खास धर्म, जातीय समूह या जनजाति से हो सकता है, लेकिन कई बार माता-पिता अपने बच्चों का खतना, साफ-सफाई या स्वास्थ्य कारणों से भी कराते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि खतना किए गए पुरुषों में संक्रमण का जोखिम कम होता है क्योंकि लिंग की आगे की चमड़ी के बिना कीटाणुओं के पनपने के लिए नमी का वातावरण नहीं मिलता है. लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि यह एक हिंसक कृत्य है और शरीर के लिए नुकसानदायक है.
ज़िम्बाब्वे में एचआईवी संक्रमण रोकने के अभियान के तहत कई सांसदों ने खतना कराया हैं
इस विषय पर सोशल एक्टिविस्ट Abbas Pathan ने लिखा है – हिन्दुस्तान के हिंदुओं / नास्तिको को ये ग़लतफ़हमी है कि ख़तना मुसलमान होने की पहचान है, अपनी नासमझी में एक अजीब सवाल भी करते रहतें कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने ख़तना करके इंसान को क्यों पैदा नही किया , फिर तो उनको ये सवाल बाल और नाख़ून के लिये भी करना चाहिए , बालों को क्यों कटवाते हो , नाख़ून क्यों काटते हो, अल्लाह ने दिमाग़ इस्तेमाल करने के लिये दिया है सही – ग़लत – सफाई – गंदगी की समझ दी है।
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इसमे कुछ गलती मुसलमानों की भी है जिन्होंने ख़तने को मुसलमानी कहना शुरू कर दिया जबकि ख़तने की सुन्नत इब्राहीम अ० से चली आ रही है जिस वजह से ख़तना यहूदी और ईसाई भी कराते हैं, अम्बियाओ की सुन्नत पर जब भी रिसर्च की जाएगी तो उसमें फ़ायदे ही फ़ायदे नज़र आएंगे, ये कोई कम्पलसरी नही, मगर जो भी समझदार होगा इन सुंन्नतो से फ़ायदा ज़रूर उठाना चाहेगा।
कुतर्क में ये लोग गड़े मुर्दे उखाड़ कर औरतो के ख़तने की बात ले कर आते हैं जो किसी ज़माने में किसी ख़ास इलाके में होती थी, अब इस तरह का कोई ख़तना कहीँ भी नही होता ये एक कुप्रथा थी जैसे सती प्रथा , जो कि अब ख़त्म हो चुकी है, औरतों के ख़तने का इस्लाम या किसी मज़हब से कोई ताल्लुक नही ये किसी जाहिल के दिमाग़ की उपज थी, मुस्लिम होने के लिये ख़तना नही , ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलल्लाह पर क़ामिल यक़ीन रखना शर्त है ।
HIV रोकथाम में कारगर
ज़िम्बाब्वे में एचआईवी संक्रमण रोकने के लिए चलाए गए एक अभियान के तहत कई सांसद संसद के भीतर खतना करवा रहे हैं.
इसके लिए संसद के भीतर एक अस्थायी चिकित्सा शिविर लगाया गया है. अभियान की शुरूआत में बड़ी संख्या में सांसदों ने हिस्सा लेते हुए एचआईवी टेस्ट करवाते हुए इस ख़तरनाक बीमारी से बचने के लिए खतना करवाने का संकल्प लिया था.
एचआईवी की रोकथाम के लिए अफ़्रीका के कई देशों में पुरूषों में खतना करवाने को बढ़ावा दिया जा रहा है.