किसान आंदोलन की लड़ाई में टेलिकॉम कंपनियां भी कूद पड़े हैं. एक तरफ सरकार और किसानों के बीच कृषि कानूनों को लेकर पेच फंसा हुआ है, दूसरी तरफ टेलिकॉम ऑपरेटर भी दो-दो हाथ करने पर उतारू हैं. मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी (TRAI) से दूसरे ऑपरेटरों को लेकर शिकायत दर्ज कराई है.
ये कंपनियां हैं- भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया. जियो का कहना है कि ये कंपनियां किसान आंदोलन का फायदा उठाकर उसके खिलाफ निगेटिव कैंपेन चला रही हैं. असल में किसानों ने सरकार के साथ बैठक में बात न बनने के बाद रिलायंस जियो के खिलाफ भी आवाज उठाई थी. किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार अंबानी और अडानी जैसे बड़े बिजनेस समूहों के दबाव में किसान कानून लागू कराने पर अड़ी है. किसानों ने न सिर्फ जियो सर्विस का इस्तेमाल न करने की बात कही बल्कि रिलायंस से जुड़ी सेवाओं से दूर रहने की अपील भी कर डाली थी.
रिलायंस इसे किसान आंदोलन की आड़ में विरोधी कंपनियों की चाल बता रही है. रिलायंस जियो के बहिष्कार की गूंज टेलीकॉम नियामक ट्राई तक पहुंच गई है. मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस जियो ने आरोप लगाया है कि एयरटेल और वोडाफोन आईडिया अपने कर्मचारियों, एजेंटों और रिटेलरों के जरिए पंजाब और उत्तर भारत में भ्रामक MNP (मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी) कैंपेन चला रही हैं. इसके चलते रिलायंस जियो को बड़े पैमाने पर मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की दरख्वास्त आ रही हैं.
मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी में लोग बिना नंबर बदले सिर्फ सर्विस ऑपरेटर बदल सकते हैं. जियो के नेटवर्क से दूसरे ऑपरेटरों के नेटवर्क पर अपना नंबर पोर्ट कराने की बड़ी वजह ग्राहक किसान आंदोलन को ही बता रहे हैं. यह ट्रेंड फरीदाबाद, बहादुरगढ़, चंडीगढ़, फिरोजपुर और एनसीआर के दूसरे शहरों के साथ पंजाब में ज्यादा दिख रहा है. रिलायंस जियो ने ट्राई से शिकायत करते हुए आरोप लगाया है कि अब ना सिर्फ उत्तर भारत में बल्कि महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में भी भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रिलायंस जियो के बहिष्कार के कैंपेन को गलत तरीकों से बढ़ावा दे रही हैं.
रिलायंस ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि किसान आंदोलन के कारण उसके कितने नंबर दूसरे सर्विस प्रोवाइडर को पोर्ट किए गई हैं. जानकार बताते हैं कि औपचारिक शिकायत से लगता है कि पोर्टेबिलिटी की रिक्वेस्ट बहुत ज्यादा आ रही हैं. सितंबर के आखिर के आंकड़ों के अनुसार एयरटेल (Airtel) के पास 29 करोड़ 40 लाख, वोडाफोन-आइडिया (Vi) के पास 27 करोड़ 20 लाख और जियो के पास तकरीबन 50 करोड़ का यूजर बेस है. जानकार कहते हैं कि चाहें कुछ वक्त के लिए ही क्यों न सही, कोई भी टेलिकॉम ऑपरेटर यूजर नहीं खोना चाहता. नुकसान का अंदाजा एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) से ही लगाया जा सकता है. एक यूजर से कोई कंपनी महीने में औसतन कितना कमाती है, यह ARPU से पता चलता है. सितंबर तिमाही के आंकड़ों के अनुसार वोडाफोन-आईडिया (वाई) हर महीने यूजर से 119 रुपए, एयरटेल 162 रुपए और जियो 145 रुपए कमाती है.
रिलायंस जियो के आरोपों पर एयरटेल ने भी ट्राई को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में एयरटेल ने रिलायंस जियो के आरोपों को सिरे से नकार दिया है. इसके अलावा वोडाफोन-आईडिया (वाई) ने भी रिलायंस जियो के सभी आरोपों को आधारहीन बताया है. (समाचार एजेंसी “दी लल्लनटॉप” से साभार)