उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केन्द्र सरकार को उन टीवी कार्यक्रमों पर लगाम लगाने के लिए ‘‘कुछ नहीं करने’’ पर फटकार लगाई जिनके असर भड़काने वाले होते हैं और कहा कि “ऐसी खबरों पर नियंत्रण उसी प्रकार से जरूरी हैं जैसे क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिये ऐहतियाती उपाये”
कोरोना संक्रमण के दौरान तबलीगी जमात वाला मुद्दा
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “तथ्य यह है कि कुछ ऐसे कार्यक्रम हैं जिनके प्रभाव भड़काने वाले हैं और आप स,₹रकार होने के नाते इस पर कुछ नहीं कर रहे हैं.’’ पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं. पीठ ने यह बात उन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कही जिनमें पिछले वर्ष कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के दौरान तबलीगी जमात के कार्यक्रम पर मीडिया रिपोर्टिंग का मुद्दा उठाया गया था.
कार्यक्रम करते हैं एक समुदाय को प्रभावित
पीठ ने कहा, “ऐसे कार्यक्रम हैं जो भड़काने वाले होते हैं या एक समुदाय को प्रभावित करते हैं. लेकिन एक सरकार के नाते, आप कुछ नहीं करते.’’ न्यायमूर्ति बोबड़े ने कहा,‘‘ कल आपने किसानों के दिल्ली यात्रा पर आने के कारण इंटरनेट और मोबाइल सेवा बंद कर दी. मैं गैर विवादास्पद शब्दावली का इस्तेमाल कर रहा हूं. आपने मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया. ये ऐसी समस्याएं हैं जो कहीं भी पैदा हो सकती हैं. मुझे नहीं पता कि कल टेलीविजन में क्या हुआ.’’
पीठ ने कहा, ‘‘ निष्पक्ष और सत्यपरक रि,₹पोर्टिंग आमतौर पर कोई समस्या नहीं है, समस्या तब होती है जब इसका इस्तेमाल दूसरों को परेशान करने के लिए किया जाता है. यह उतना ही जरूरी है जितना किसी पुलिसकर्मी को लाठी मुहैया कराना. यह कानून-व्यवस्था की स्थिति का अहम ऐहतियाती हिस्सा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि टीवी पर लोगों द्वारा कही जा रही बातों में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है लेकिन उसे उन कार्यक्रमों को लेकर चिंता है जिनका उसर भड़काने वाला होता है”.