नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने आज लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने किसानों के मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा. उन्होंने केंद्र सरकार से किसानों से बात करने के लिए भी कहा. ‘हम यहां हल निकालने के लिए’ फारूक अब्दुल्ला ने सदन में कहा, ‘किसानों का मामला है.
हमने कानून बनाया है, यह कोई खुदाई किताब नहीं है कि इसमें तब्दीली नहीं कर सकते. अगर किसान चाहते हैं कि आप इसे रद्द करें तो रद्द करने में क्या जाता है? आप किसानों से बात कीजिए और उनसे सलाह करके वो कानून लाइए जो वो चाहते हैं.’ उन्होंने आगे सरकार से कहा कि कोई हल निकालिए, हम यहां हल निकालने के लिए ही बैठे हैं. मुश्किलें खड़ी करने के लिए नहीं बैठे हैं.
राम विश्व के हैं फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि डॉक्टर कभी खून से यह नहीं पूछता कि वह हिंदू का है या मुसलमान का है. भगवान ने हम सब को एक जैसा बनाया है. बस फर्क इतना है आप मंदिर जाते हैं, मैं मस्जिद जाता हूं. सरकार किसानों से बात करे. यह देश हमारा है. राम क्या केवल आपका है. राम तो विश्व के हैं. हम सबके हैं राम. मुसलमानों ने कुरान को लगा रखा है कुरान केवल हमारा नहीं है. वह भी सबका है.
कश्मीर को जोड़ने की बात कीजिए फारूक अब्दुल्ला ने सरकार से कश्मीर को जोड़ने की बात कही. उन्होंने कहा कि हम उन लोगों में से हैं जिन्होंने हमेशा तिरंगे को थामे रखा. उस रियासत के जिसके आपने टुकड़े कर दिया उसे जोड़ने की बात कीजिए.
जो गया उसका सम्मान करिए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यहां सदन में कई लोग ऐसे होंगे जिन्होंने ना सरदार पटेल को देखा होगा, ना महात्मा गांधी को देखा होगा. मैंने अपने बाप के साथ दोनों को देखा है. मेरी मां और बहन के साथ गांधी की तस्वीर है. मैंने अपने बाप को जेल में भी देखा है लेकिन उन्होंने कभी भी नेहरू को गाली नहीं दी. इसलिए सदन में जो लोग अपना काम करके चले गए उन्हें कोसने का काम नहीं होना चाहिए. यह अच्छी संसदीय परंपरा नहीं. उन्होंने कहा कि कल को जब ये सरकार चली जाएगी तो क्या हम इनको को भी कोसेंगे.
अखिलेश, सौगत राय ने किया समर्थन फारूक अब्दुल्ला के भाषण का सपा के अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने समर्थन किया. अखिलेश ने गंगा-जमनी तहजीब को भारत की पहचान बताया. जबकि सौगत राय ने कहा कि अब्दुल्ला के भाषण ने उन्हें रुला दिया.