किसान विरोधी बिलों के खिलाफ चल रहा आंदोलन अब त्रासद दौर में पहुंच चुका है, जहां सरकार प्रदर्शनकारियों की नहीं सुन रही है और प्रदर्शनकारी हर कीमत पर समाधान चाह रहे हैं।
किसानों के इस आक्रोश को और सरकार की नजरअंदाजी को देखकर व्यथित संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली है। उन्होंने एक सुसाइड नोट भी लिखा है जिसमें स्पष्ट किया है कि किसान आंदोलन के समर्थन में वो ऐसा कर रहे हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार कृष्णकांत लिखते हैं ।
किसानों के धरने में एक सिख संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली. खबरों के मुताबिक, बाबा राम सिंह किसानों पर सरकार के रवैये से आहत थे. उन्होंने ऐसा किसानों के समर्थन में और सरकार के विरोध में किया है. वे करनाल के रहने वाले थे और हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के नेता थे । उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखा है जिसमें कहा गया है कि वे किसानों के संघर्ष से बहुत दुखी हैं और सरकार के विरोध में अपनी जान दे रहे हैं ।
बाबा राम सिंह के नोट में लिखा है कि “किसानों का दुख देखा. वो अपना हक लेने के लिए सड़कों पर हैं. बहुत दिल दुखा है. सरकार न्याय नहीं दे रही. जुल्म है. जुल्म करना पाप है, जुल्म सहना भी पाप है ।
किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ नहीं किया. कइयों ने सम्मान वापस किए. यह जुल्म के खिलाफ आवाज है और कीर्ति-किसानों के हक में आवाज है. वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह.”
वे पिछले काफी दिनों से दिल्ली के पास हो रहे आंदोलन में शामिल थे. उन्होंने एक शिविर की भी व्यवस्था की थी और कंबल भी बांटे थे।
ये बहुत ही त्रासद है।
गौरतलब है कि अलग-अलग वजह से हुई 11 किसानों की मौत की खबर के बाद भी सरकार तनिक भी विचलित नहीं हुई थी और अब इस तरह से की गई खुदकुशी कहीं किसानों में पल रहे आक्रोश को चिंगारी ना दे दे।
(बोलता हिन्दुस्तान से साभार)