दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के 20 वर्षीय फरहान मजीद ने कामयाबी के नए झंडे गाड़ दिये। फरहान मजीद दक्षिण कश्मीर के पह’ले कमर्शियल पायलट बने। दा’वा कि’या जा रहा है कि वह स’बसे कम उम्र में पायलट बने है।अवंतीपोरा पुलवामा के रहने वाले फर’हान मजीद के मुता’बिक उसे बच’पन से ही हवाई जहाज में दिलचस्पी थी। 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद उत्तराखंड में एक अकादमी ज्वाइन कर ली।
यहां से हवाई जहाज उड़ाने की ट्रेनिंग लेकर कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिल गया है।फरहान ने बताया, मेरा घर अवंतीपोरा मिल्ट्री एयरबेस से थोड़े ही फासले पर है। बचपन में मैं घंटों अपने छत पर बैठकर विमानों को देखा करता था। हाालंकि पहले मुझे घरवालों से डांट भी खानी पड़ी और कई बार पिता से पिटाई भी हुई।
मां ने समझाया कि इसके लिए पायलट बनना पड़ेगा और उससे पहले मन लगा’कर पढ़ाई करनी होगी। तब मैं सातवीं कक्षा में था और एक स्थानीय स्कूल में पढ़ता था। मैं पढ़ाई में अच्छा तो था, लेकिन पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता था। उस दिन के बाद से मैंने पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया।
दसवीं पा’स करके मैंने एवि’एशन को’र्सेज में एड’मि’शन लेने के लिए रास्ते तलाशने शुरू किए। एक अच्छा फ्लाइंग क्लब ढूंढने में मुझे बहुत दिक्कत हुई। हमारे कश्मीर में ऐसा कोई क्लब नहीं है। फिर मुझे उत्तराखंड के ग्लोबल कनेक्ट एविएशन में दाखिला मिला।
ढाई साल का कमर्शियल कोर्स और ट्रेनिंग पूरी कर पिछले साल नवंबर में कमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल किया। अब विनान उड़ाने का इंतजार कर रहा हूं। फरहान ने कहा कि कोरोना म’हा’मा’री के चलते चयन की प्रक्रिया में दूरी हुई। फि’लहा’ल वह सिविल एविएशन मिनिस्ट्री से लाइसेंस प्राप्त करने के परीक्षा की तैयारियों में जुटा हुआ हूं।
बेटे की कामयाबी पर पेशे से लेक्चरर पिता अब्दुल मगीन बगा’न ने कहा, पहले मुझे लगता था कि यह अपना वक्त बर्बाद कर रहा है, लेकिन आज मुझे इस पर गर्व है। बगान ने कहा कि बेटे की एविएशन की महंगी पढ़ाई के लिए उसे बैंक से क’र्ज भी लेना पड़ा था, ले’किन उसे खुशी है कि उसके बेटे ने कम उम्र में उसे यह सफलता प्राप्त की है।