AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ बिहार के हाजीपुर सिविल कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। वर्ष 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट के दोषी याकूब मेनन की फांसी के बाद ओवैसी ने भड़काउ बयान दिया था। उनके भाषण से आहत होकर भगवानपुर प्रखंड के धर्मपुर गांव निवासी राजीव शर्मा ने असदुद्दीन ओवैसी, वारिस पठान, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और शशि थरूर के खिलाफ हाजीपुर सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया था।
मामले में एसडीजेएम राजेश पाण्डे ने ओवैसी के विरुद्ध विद्वेष फैलाने को लेकर भादवि की धारा 153ए के तहत संज्ञान लेते हुए 23 जुलाई, 2016 को समन जारी किया था। कोर्ट के सम्मन के बाद भी ओवैसी हाजिर नहीं हुए। इसके बाद मंगलवार को एसडीजेएम ने असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया।
साक्षी समाचार पर छपी खबर के अनुसार, कांग्रेस नेता शब्बीर अली पर हमले के मामले में सुनवाई के लिए ओवैसी के हाजिर नहीं होने के कारण स्पेशल कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। साल 2016 के जीएचएमसी चुनाव के दौरान हैदराबाद के मीरचौक थानांतर्गत कांग्रेस नेता शब्बीर अली के कार से जाने के दौरान कुछ लोगों ने उनका रास्ता रोकने के अलावा शब्बीर अली पर हमला किया था।
पुलिस ने इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी को मुख्य आरोपी के रूप में मामला दर्ज किया था और पिछले पांच वर्षों से अदालत में इस मामले की सुनवाई चल रही है। 2016 में शब्बीर अली ने आरोप लगाया था कि एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने कार्यकर्ताओं को उनके (शब्बीर अली) काफिले पर हमला करने का निर्देश दिया था।
शब्बीर अली ने यह भी कहा था कि ओवैसी पार्टी कार्यकर्ताओं से कह रहे थे कि ‘इनकी हिम्मत कैसे हुई मेरे इलाके में घुसने की ।कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर ओवैसी सही मायने में एक सच्चा मुसल मान हैं तो वे अपनी इस बात से नहीं मुकरेंगे।हालांकि ओवैसी ने शब्बीर अली के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि वह राजनीतिक हस्तक्षेप के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि अगर कोई कानून तोड़ता है तो पुलिस को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। मैं या मेरे पार्टी के लोग इस हमले में शामिल नहीं थे। ओवैसी ने उल्टा कांग्रेस नेताओं पर मतदान के दौरान चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।