16 जनवरी को व्हाट्सएप चैट की बातें वायरल होती हैं. किसी को पता नहीं कि चैट की तीन हज़ार पन्नों की फाइलें कहां से आई हैं. बताया जाता है कि मुंबई पुलिस TRP के फर्ज़ीवाड़े को लेकर जांच कर रही थी. उसी क्रम में इस मामले में गिरफ्तार पार्थो दासगुप्ता से बातचीत में रिपब्लिक टीवी के मालिक और एंकर अर्णब गोस्वामी कई तरह की जानकारी होने के दावे करते हैं
जिनका संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा से भी है और कैसे उन जानकारी के इस्तमाल से रेटिंग में कथित तौर पर घपला किया जा सकता है जिससे चैनल या अर्णब गोस्वामी को करोड़ों की कमाई हो सकती है.सरकार ने इस मामले को संवेदनशीलता से नहीं लिया. कम से कम उसे अपने स्तर पर महाराष्ट्र की मुंबई पुलिस से इसकी पुष्टि करनी चाहिए थी कि बातचीत की सत्यता क्या है क्योंकि इस चर्चा से राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं.
आ,तंक के गंभीर मामलों में जांच करने वाली NIA भी पहल कर सकती थी और बुलाकर इस मामले में पूछताछ कर सकती थी. वैसे आपको बता दें कि ये चैट मुंबई पुलिस की टीआरपी जांच में शामिल की गई एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट का हिस्सा है.कोर्ट में दाखिल हुआ है. फिर भी सरकार अपने स्तर पर पता कर सकती थी. लेकिन उसकी गहरी चुप्पी ने संदेह के बादलों को और भी गहरा कर दिया.
इस दौरान हम सभी की आलोचना होने लगी कि अर्णब गोस्वामी के कथित व्हाट्स एप चैट पर आप चुप क्यों हैं? मैंने अपना कारण बताया था कि मैं ऐसी चीज़ों में जल्दबाज़ी पसंद नहीं करता. मैं रूका रहा कि आधिकारिक बयानों का इंतज़ार करना चाहिए. मुझे उम्मीद थी कि सरकार कुछ करेगी.बोलेगी. सरकार ने मुख्यधारा के कुछ अख़बार, वेबसाइट और एक दो न्यूज़ चैनलों पर इस मामले की चर्चा के बाद भी कुछ नहीं कहा. सज्ञान नहीं लिया.
19 जनवरी आ गया. राहुल गांधी किसानों को लेकर एक पुस्तिका जारी करने प्रेस कांफ्रेंस में आते हैं. उनसे कई तरह से सवाल-जवाब होते हैं. एक सवाल इस व्हाट्स एप चैट को लेकर चुप्पी के बारे में होता है जिसके जवाब में राहुल गांधी पहले अंग्रेज़ी में और फिर हिन्दी में बोलते हैं. हिन्दी वाला हिस्सा शब्दश: यहां दे रहा हूं.